लोधी उद्यान, दिल्ली
लोधी उद्यान | |
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लोधी उद्यान का एक दृश्य | |
प्रकार | उद्यान |
स्थान | लोधी मार्ग, दक्षिणी दिल्ली |
28°35′29″N 77°13′07″E / 28.591525°N 77.218710°Eनिर्देशांक: 28°35′29″N 77°13′07″E / 28.591525°N 77.218710°E | |
नाप | ९० एकड़ |
आरंभ | १९६८ |
संचालक | पर्यटन विभाग, दिल्ली सरकार |
वार्षिक पर्यटक |
देशी: ओवरनाइट ४.१ |
वास्तुकार | अमेरिकी आर्किटेक्ट जोसेफ एलन स्टीन और गेटेट एको[2] |
जालस्थल | delhitourism.gov.in/ |
लोधी उद्यान (पूर्व नाम:विलिंग्डन गार्डन, अन्य नाम: लोधी गार्डन) दिल्ली शहर के दक्षिणी मध्य इलाके में बना सुंदर उद्यान है। यह सफदरजंग के मकबरे से १ किलोमीटर पूर्व में लोधी मार्ग पर स्थित है। पहले ब्रिटिश काल में इस बाग का नाम लेडी विलिंगटन पार्क था। यहां के उद्यान के बीच-बीच में लोदी वंश के मकबरे हैं तथा उद्यान में फव्वारे, तालाब, फूल और जॉगिंग ट्रैक भी बने हैं। यह उद्यान मूल रूप से गांव था जिसके आस-पास १५वीं-१६वीं शताब्दी के सैय्यद और लोदी वंश के स्मारक थे। अंग्रेजों ने १९३६ में इस गांव को दोबारा बसाया। यहां नेशनल बोंजाई पार्क भी है जहां बोंज़ाई का अच्छा संग्रह है।[3][4] इस उद्यान क्षेत्र का विस्तार लगभग ९० एकड़ में है जहां उद्यान के अलावा दिल्ली सल्तनत काल के कई प्राचीन स्मारक भी हैं जिनमें मुहम्मद शाह का मकबरा, सिकंदर लोदी का मक़बरा, शीश गुंबद एवं बड़ा गुंबद प्रमुख हैं। इन स्मारकों में प्रायः मकबरे ही हैं जिन पर लोदी वंश द्वारा १५वीं सदी की वास्तुकला का काम किया दिखता है। लोदी वंश ने उत्तरी भारत और पंजाब के कुछ भूभाग पर और पाकिस्तान में वर्तमान खैबर पख्तूनख्वा पर वर्ष १४५१ से १५२६ तक शासन किया था। अब इस स्थान को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षण प्राप्त है।[2] यहाँ एक उद्यान (बोटैनिकल उद्यान) भी है जहां पेड़ों की विभिन्न प्रजातियां, गुलाब उद्यान (रोज गार्डन) और ग्रीन हाउस है जहां पौधों का प्रतिकूल ऋतु बचाकर रखा जाता है। पूरे वर्ष यहां अनेक प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं।सन्दर्भ त्रुटि: अमान्य <ref>
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(संभवतः कई) अमान्य नाम
इतिहास
[संपादित करें]लोधी उद्यान का नाम पहले लेडी विलिंगटन पार्क था। लेडी वेलिंगटन, वेलिंगटन के मार्क्वेस की पत्नी थी, जो उस समय ब्रिटिश शासनकाल में १९३१-३६ तक भारत के गवर्नर जनरल थे। भारतीय स्वतंत्रता उपरांत इसका नाम बदल कर लोधी उद्यान कर दिया गया है। कालांतर में इस उद्यान क्षेत्र का पुनर्निर्माण १९६८ में अमरीकी वास्तुकार जोसेफ एलन स्टीन और गेटेट ईको द्वारा करवाया गया था।[2] इस क्षेत्र में कई स्मारक हैं हैं, जिनमें मुहम्मद शाह और सिकंदर लोदी के मकबरों पर लोधी राजवंश के वास्तुशिल्प दिखाई देते हैं। इनका निर्माण १५ वीं शताब्दी में किया गया था। मुहम्मद शाह का मक़बरा १४४४ में अला-उद-दीन आलम शाह द्वारा बनवाया गया था। उद्यान से पूर्व यह क्षेत्र गांव था जिसके निकट १५-१६वीं शताब्दी के सैय्यद और लोदी वंश के मकबरे बने हुए थे। १९३६ में अंग्रेजों द्वारा इस गांव को दोबारा बसाया गया जो कालांतर में लेडी विलिंगडन के लिए आरक्षित कर दिया गया था। लेडी विलिंगडन भारत के गवर्नर जनरल की पत्नी थी और बाद में इसका नाम लेडी विलिंगडन पार्क रख दिया गया, लेकिन सन १९४७ में स्वतंत्रता के बाद इसे लोधी उद्यान नाम कर दिया गया।
ऐतिहासिक स्मारक
[संपादित करें]मुहम्मद शाह का मकबरा
[संपादित करें]सैयद वंश के तीसरे शासक मुहम्मद शाह थे। जिनका शासन १४३४-४४ तक रहा। इनका शासन काल इसलिए भी जाना जाता है कि उस दौरान सरहिंद के अफगान सूबेदार बहलोल लोधी ने पंजाब के बाहर अपने प्रभाव को बढ़ा लिया था। वह लगभग स्वतंत्र हो गया था। इसी दौरान मुहम्मद शाह का पुत्र और उनका उत्तराधिकारी अलाउद्दीन आलम शाह दिल्ली के शासन का भार अपने एक साले और शहर पुलिस अधीक्षक का भार दूसरे साले पर छोड़कर बदायूं चला गया था। उसके जाने के बाद दोनों ही अलग-थलग पड़ गए और १४५१ में बहलोल लोधी ने सिंहासन पर कब्जा कर लिया।[5]
सिकन्दर लोदी का मकबरा
[संपादित करें]बहलूल खान लोदी के शासन काल में ही राज्य में कई विद्रोही ताकतवर होने लगे थे। जिसके चलते उसके उत्तराधिकारी सिकन्दर लोदी (१४८७-१५१७) का अधिकांश समय जौनपुर के प्रांतीय शासक और अन्य सरदारों को दबाने में ही लगा रहा।[5]
बड़ा गुम्बद
[संपादित करें]मुहम्मद शाह के मकबरे से ३०० मीटर पर यह मकबरा स्थित है। इसमें जिसका शव दफन है, उसकी पहचान नहीं हो पाई है। परन्तु यह स्पष्ट है कि वह सिकन्दर लोदी के शासन काल में कोई उच्च पदाधिकारी था।[5]
शीश गुम्बद
[संपादित करें]वास्तुकला की दृष्टि से इसमें दो मंजिला इमारत की आकृति झलकती है। इसके अंदर कई कब्र हैं। इनके बारे में इतिहास में जानकारी उपलब्ध नहीं है। मगर माना जाता है कि इन्हें भी सिकन्दर लोदी के शासन काल में बनाया गया था।[5] इस मकबरे पर शीशे की टाइलों द्वारा अलंकरण होने के कारण इसे शीश गुम्बद नाम मिला है।
अठपुला
[संपादित करें]सिकन्दर लोदी के मकबरे से थोड़ी दूर पूर्व में सात मेहरावों वाला एक पुल है जिसे नाले पर बनाया गया है। इसके ऊपर बीच के मेहरावों का फैलाव अधिक है। इस पुल में आठ खंभे हैं। इसे मुगल काल के दौरान बनाया गया था। इस पुल का निर्माण बादशाह अकबर के शासन काल (१५५६-१६०५) के दौरान नवाब बहादुर नामक व्यक्ति ने करवाया था।[5]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "टूरिज़्म सर्वे रिपोर्ट" [पर्यटन सर्वेक्षण रिपोर्ट] (PDF). भारत सरकार, पर्य़टन मन्त्रालय. मूल (PDF) से 10 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 दिसम्बर 2017.
- ↑ अ आ इ "लोधी गार्डन- इतिहास और प्रकृति का संगम". १६ मार्च, २०१७. नेटिव प्लानेट. अभिगमन तिथि 1 दिसम्बर 2017.
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in first1 (मदद) - ↑ "लोधी गार्डन, दिल्ली". मैप्स ऑफ़ इण्डिया. मूल से 2 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 दिसम्बर 2017.
- ↑ "लोधी गार्डन, दिल्ली". व्हाऑट्सिन इण्डिया.कॉम. मूल से 2 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 दिसम्बर 2017.
- ↑ अ आ इ ई उ संवरेंगे लोधी गार्डन के स्मारक[मृत कड़ियाँ], अभिगमन तिथि ८ अगस्त, २००९
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]• लोदी वंश • दिल्ली के दर्शनीय स्थल • इस्लामी वास्तुकला
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]विकिमीडिया कॉमन्स पर लोधी उद्यान, दिल्ली से सम्बन्धित मीडिया है। |
- लोधी गर्डन देखें विकिमैपिया पर
- यू ट्यूब पर वीडियो देखें।
- यू ट्यूब पर वीडियो देखें।—एक विस्तृत वीडियो रिपोर्ट